Sunday, February 14, 2016

Round 3 - Team # 24 (Kapil & Soumendra) #ftc1516

ज़िंदा हो कर मर गया

बचपन के दोस्त देवेन और मोहित, बाहरवीं की पढाई साथ ही कर रहेथे। दोनों का दिमाग कौतुको से लबरेज थे। प्रारंभण से ही गूढ़ और रहस्मयी वाकयो में खासी दिलचस्मी रखते थे। उड़नतश्तरी से लेकर ज़ॉम्बीज़ और सम्मोहन से ले कर टाइम मशीन तक सब पर अनुसंधान कर चुकेथे। दोनों सनकियो की तरह अलग-थलग दुनिया में पड़े रहतेहैं। चाँद पर पहला कदम भले ही नील आमस्ट्रॉन्ग ने रखाहो, लेकिन इन दोनों का दिमाग पूरी आकाशगंगा को चाट आया था। अलौकिक वृतांतों में लिपटे इन मानुषों के साथ हमेशा ही गैरमामूली बाते होते रहना भी एक संयोग ही था। दोनों एकसाथ पढ़नेके बहाने एक-दुसरे के घर रातको रूका करतेथे, जहाँ अज़ीब और अटपटे विषयों पर तार्किक जुगलबंदी होती रहतीथी।

अभी कुछ महीनोंसे देवेन के घर गोपनीय ढंगसे यहाँ-वहाँ  चिंगारी भड़क उठती हैं, घर की चीज़े खो जाती हैं फिर कुछ अंतराल के बाद वापस मिल जाती हैं। दोनों कुशाग्र कुमारों की कौतक बुद्धि सक्रिय हो गयी। गंभीरता से जाँच-पड़ताल शुरू हो गयी। आज देवेन पढ़नेके बहाने मोहित के घर रात में रुकने आया था ताकि आगज़नी की घटनाओं को भेद सके।

मोहित : "इसके पीछे कोई आसमानी ताकत हैं, शायद कोई एलियन या भूत-प्रेत हो, क्या बोलते हों?

देवेन : "मैं नहीं मानता, मेरे ख्याल से ये भविष्य से आये हुए उन्नत तकनिकी वाले लोग हैं जो इस समय (काल) के लोगो के बीच रह कर अपनी नयी टेक्नोलॉजी से ऐसे-ऐसे काम करते हैं जो हमें कभी असाधारण, कभी अज़ीब और कभी-कभी भुतहा लगते हैं।"

मोहित : हाँ, जैसे एक ही रेडियो पर अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर अलग-अलग FM चैनल आतेहैं ठीक वैसे ही एक ही धरती पर एक साथ अलग-अलग काल के लोग एक साथ रहते हैं, यानि हम 21वीं सदीमें हैं, तो हमारे साथ अभी 18वीं और 22वीं सदीके लोग भी रहते हैं बस उनका आयाम यानि फ्रीक्वेंसी अलग हैं, लेकिन कई बार किसी एक आयाम के लोग भूलवश भटक कर किसी और आयाम यानि समयमें पहुँच जाते हैं और इसे ही टाइम ट्रैवल कहतेहैं।"

देवेन : "मैने इंटरनेट पर कई लोगोंके अनुभवोंको पढ़ा हैं जो संयोगवश किसी दुसरे कालमें पहुँच जातेहैं, विकिपीडिया पर भी टाइम ट्रेवल (समय यात्रा) के बारेमें काफी कुछ हैं, जैसे 1950 में न्यूयॉर्क टाइम स्क्वायर पर एक व्यक्ति रोड एक्सीडेंटमें मारा गया, जिसने 19वीं सदीके कपड़े पहनें हुएथे, जिसकी पहचान पुलिस ने  रुडोल्फ फेंटज के रूपमें की जो 29 वर्षकी उम्रमें 1876 से लापताहैं। वो बंदा 1876 और 1950 दोनोंमें 29 वर्षका कैसेहो सकताहैं, यानिवो 1876 में किसी टेक्नोलॉजी की हेल्पसे या भूलवश किसी अलग समय के आयाममें भटक गया होगा और 1950 के समयमें आ पहुँचा।"       

दोनों अभी दूसरी दुनिया और उनके आयामों में खोये हुए थे की तभी ठकसे एक पत्थर आकर देवेनको लगा, फिर पत्थरोंकी बरसात होगयी।  दोनों बाहरकी और भागे।  रात का समयथा, मोहित देवेन सड़कपर खड़े हाँफ रहेथे। 
"इन पत्थरोने तो सिर फोड़ दिया, थोड़ी देर और रुक जातेतो हमें लोग सुबह मलबे से निकालते" पत्थर बरसने की आवाज़ रुकनेके बाद दोनों वापस घरके ऊपर बने उस कमरेमें आकर तफ़तीशमें जुट जातेहैं।
"कौन फेंक रहाथा, कमरा तो चारो तरफसे बंद था? लगताहैं दुसरे आयामसे आये लोगोंको हमारी बातें पसंद नहीं आयी हीहीही। देख, मोहित उधर ऊपर रोशनदान पर लगा पर्दा उड़ रहाहैं, मतलब वो जगह खुलीहैं, चल देखतेहै शायद कोई सुराग मिलजाए।"

"लेकिन येतो बहुत ऊपरहैं, देवेन तू घोड़ी बनजा में तेरे ऊपर चढ़कर देखताहुँ।"

मोहित, देवेन को घोड़ी बनाकर ऊपर चढ़ा लेकिन अभी भी वो रोशनदानके नज़दीक नहीं पहुँच पाया, उसने हाथ ऊपर करके वहाँ कुछ टटोला, "अरे ये क्याहैं? आsssआsssह"

मोहितकी जंगली चीख़के बाद कमरेमें सन्नाटा पसर गया। क़रीब 2 घण्टे बाद देवेनकी आँख खुली, मोहितको झँझोड़ा।  भारी पलकोंको उठाते हुए मोहितने देवेन पर नज़रे टिकाई , "भाई अभी क्या हुआथा, एक पलको लगा की बेहोशी छा गयी और फिर किसीने पहाड़से नीचे फेंक दिया"

देवेन खुद सदमे में था, दोनों उठे, और छत पर चले गए, हवा कुछ बदली सी लगी, शायद सुबह हो चुकीथी।
"देख मोहित! अनुराग अंकल, बंटू भैयाके पापा; ये यहाँ नीचे कैसे?"
"अरे हां, ये तो काफी सालसे लापता हैं। बंटू भैयाने बताया था उस समय अंकल की उम्र कोई 44-45 साल रही होगी, लेकिन अभी तो ये 28-29 सालके लग रहेहैं ठीक वैसे ही जैसे इनके घर इनकी शादीके समय की फोटो लगी हुयी हैं।"

देवेन : "ओह माय गॉड, मतलब की हम कई साल पीछे आगए हैं, किसी दुसरे समय आयाम में,  हम उस कालमें आ पहुँचे जब या तो हम हुए ही नहींथे या फिर छोटे बच्चेथे।"

दोनों नीचे को लपके, कमरे में पहुँचते ही देवेन को लगा उसके पैर पर किसीने कोई भारी चीज रखदी, फिर लगा की पूरा शरीर ही जमीनमें धँसा जारहा हैं, भय-स्तब्ध देवेन की सारी इन्द्रिया सुन्न पड़ गयी। बीभत्स चिंघाड़ों के साथ वो कमरे में इधर-उधर दौड़ने लगा। 
डरा हुआ मोहित नीचेको भागा तो देवेन ने उसे दरवाजे पर पकड़ लिया।
"तु मुझे अकेला छोड़ कर मतजा, मैं मर जाऊंगा"                
मोहितको लगा किसीने गरम तवा चिपका दिया, उसके शरीर से पसीने का झरना फूट पड़ा, छूटने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा। वहाँ जमा किये पत्थर उठा वो देवेन पर फेंकने लगा;अचानक देवेन का गरम शरीर मुरझा गया, मोहितने स्वयं को छुड़ाया और ज़मीन पर जा गिरा। करीब तीन-चार घंटे बाद मोहितको होश आया, सामने देवेन खड़ा मुस्कुरा रहाथा। भौंचंके मोहित के बोलने से पहले ही देवेन बोला "अब अच्छा महसूस कर रहा हु, लो चलो चलते हैं"  दोनों दरवाज़े की तरफ बढ़े।

"रुको, ये नहीं जा सकता" मोहित आवाज़की दिशामें पलटा लेकिन उसकी पलके आप ही चिपक गयी, वो देख नहीं पा रहाथा, चारों और स्याह अँधेरा, पूरी ताकत लगा आँखे खोली।

सामने मम्मी-पापा और छोटी बहनथी, नज़रे फिरायी, मोहल्ले के लोगों का जमावड़ा था, दोस्त-रिश्तेदार सब थे। चौंककर उठा, "पापा ये क्या हैं, सब यहाँ कैसे?"
मोहितको  बताया गयाकी कमरेके रोशनदान पर बिजली का खुला तार था जिसे छूने पर देवेन और मोहित दोनों की साँसे थम गयी थी।  देवेन का क्रियाकर्म कर दिया गया था लेकिन मोहित के बीकानेर वाले ताऊजी का आना बाकि था इसलिए अभी तक शव घरपर ही था। ऐसे मोहित का वापस जिंदा हो जाना चमत्कार ही था, डॉक्टरने बताया की ऐसी घटना को मेडिकल साइंस में क्लीनिकल डेथ कहते हैं।  क्लिनिकली डेड व्यक्ति की हृदय गति बंद होने के बाद कदाचित फिर से लौट आतीहैं।

तीसरे दिन मोहित अपने कमरेमें बैठा तड़प रहा था, "तो क्या में मौत के बाद वाली दुनियामें पहुँच गया था? मैं इसलिए बच गया क्योंकि मुझे जलाया नहीं गया था। शायद देवेनको भी बचाया जा सकता था।  लेकिन फिर बंटी  भैयाके पापा वहाँ कैसे? अगर उनकी भी मौत होगयी थी तो उन्हें 45-50 साल का होना चाहिए था, वो तो बहुत छोटे लग रहेथे, क्यों? पत्थरोंकी बरसात कौन कर रहाथा? आगज़नी की घटनाएं? इन सबके पीछे क्या था? मोहित का दिमाग झन्ना उठा। सवालों का दलदल उसको साबुत ही निगल गया। "कौन देगा मेरे सवालों के ज़वाब, कौन? लगताहैं ज़िंदा होकर मैं वास्तव में मर गया हूँ, क्यों न मर कर ज़िंदा हो जाऊ, मोहितने रसोईं से चाक़ू ले गर्दन पर फ़ेर लिया।

मोहित वापस उस रहस्मयी दुनियाँमें पहुँच गया।
"अरे मोहित तू वापस आ गया, आजा देख अनुराग अंकलने बहुत इंटरेस्टिंग बातें बताई हैं। अंकल ने बताया की ये आफ्टर लाइफ वाली लाइफ हैं यानि मौत के बाद वाली ज़िंदगी। हम मर कर कहीं नहीं जाते वही रहते हैं, वही घर, वही गालियाँ, वही रास्तें।    

मोहित : लेकिन मरने के बाद क्या हम दोबारा नहीं मरते ? और अंकल आप की उम्र इतनी कम कैसे होगयी, अभी आप 29-30 के लग रहे हो उस ऐज में तो हम बिलकुल छोटेथे आपने फिर अभी कैसे पहचान लिया ?" 

अंकल : "बेटा हर इंसानकी एक तय ज़िंदगी होतीहैं जैसे 40, 68 या 84 साल आदि, जिसकी जितनी ज़िंदगी तय हैं उसको उतने साल जीना होता हैं, जिसकी तय ज़िंदगी 50 साल की हैं वो भी 25 की उम्र में भी मर सकताहैं और फिर बाकि के 25 साल उसे यहाँ गुजारने होंगे। मेरी ज़िंदगी 90 साल तयथी लेकिनमें 48 की उम्र में मरगया था अब बाकी के 42 साल मुझे यंहा गुज़ारने होंगे। ये बाकि के सालमें रिवर्स लाइफ जियूँगा। लोग जिस उम्र में मरते हैं उसी उम्र में यहाँ एक तरहसे जन्म लेते हैं फिर उनकी रिवर्स लाइफ स्टार्ट हो जाती हैं, यानि बुढ़ापेसे बचपन। जैसे मेरी डेथ 48 वर्षमें हुयीथी आजमें 30 सालका हुँ यानि 15 साल कम।  धीरे-धीरे में और छोटा होता जाऊँगा और अंतमें नवजात बनकर मर जाऊँगा और फिर वापस इंसानोके बीचमें जन्म लूँगा। आफ्टर लाइफ में फ़र्क ये है की सामान्यता हम ज़िंदा लोगों को ना तो देख सकते हैं नाही उन्हें अपनी उपस्थिति का अहसास दिला सकते हैं। यहाँ हम सूरज की रौशनी को ज्यादा सहन नहीं कर पाते इसलिए रातको जागते हैं और दिन में सो जाते हैं। हालाँकि कुछ बुरे लोग यहाँकी टेक्नोलॉजी का सहारा ले ज़िंदा लोगो के बीच जाने उनको डराने और नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते रहते  हैं, लोग इन्हें अक्सर भूत कहते हैं।

मोहित : ओह!!! तो ये रहस्य हैं पुनर्जम, समय यात्रा और भूत-प्रेत का पर देवेन तुम्हे उस समय क्या हो गया था? तुम्हारा शरीर इतना गर्म क्यों हो गयाथा?"

देवेन : मेरा अंतिम संस्कार किया जा रहा था, जलाया जा रहा था इसलिएमें आग में तड़प रहा था और पताहैं तुम्हारे घर पर जो पत्थर बरस रहे थे वो कोई और नहीं तुम ही फेंक रहेथे।

मोहित : मैं? क्या बकवास हैं?

देवेन : हम तुम्हारे घर 3 तारीख की रात को थे, और पत्थरो की बरसात शुरू हो गयी, उसके बाद हम दोनों करंट से मर गए, कुछ घंटो बाद यानि 4 तारिख को हम यहाँ आगए।  उसके बाद हमारी रिवर्स लाइफ स्टार्ट हो गयी  यानि हम वापस 3 तारिख में पहुँचगए और जबमें आगमें जल रहा था तड़प रहाथा तब तुमने मेरे ऊपर पत्थर फेंके थे वो तुम्हारा ही कमरा था। चूँकि तुम मरे नहीं थे इसलिए तुमने जो भी काम किया वो ज़िंदा इंसान महसूस कर सकता था, तुमने मुझसे बचनेके लिए पत्थर फेंके और वही पत्थर रियल लाइफमें हम दोनों को जा लगे।

मोहित : अच्छा ! फिर तुम्हारे घर आग कौन लगाता था, चीज़े कौन ग़ायब करता था। 

"मैं करता था"!  

अंकल आप? लेकिन क्यों?

बदला बेटा बदला ! तेरे पिताजी ने धोखेसे मेरी जमीन हड़प कर मुझे मरवा दिया फिर उसी जमीनमें मेरी लाश को गाढ़कर मकान खड़ा कर लिया। हम लोग इस समय मेरी लाश के ऊपर ही खड़े हैं! 

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Rating - 138/200

Total Rating (3 Rounds) - 410/600 (68.33%)

Judges - Mayank Sharma, Mohit Trendster and Pankaj V. (Shaan)

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