Thursday, October 29, 2015

Round 2 - Team # 27 (Deepjoy & Rishav) #ftc1516



हमें शादी कर लेनी चाहिए" आकाश के ये शब्द मेघा के कानों मे गूंज रहे थे, किसी पुराने गाने के रेकॉर्ड की तरह, पर इसमे संगीत नही था, थी तो बस चुभन। आज ये बात न मानने के लिए, मेघा के मन का एक कोना उसे धिक्कारता तो दूसरा उसके इसी फैसले को सही बताता। कभी यही शब्द उसके लिए एक आशिक़ की तिष्णगी थे, उम्मीद थे,प्रार्थना थी। और आज हर शब्द नश्तर! एक ऐसा नश्तर जो उसके आकाश के साथ गुज़रे अनगिनत सुहाने पलों मे से "इस एक" दर्द देते लम्हे को काटकर, यादों की किताब के पहले पन्ने पर रख देता। वो जब ये "किताब" खोलती , तब ये लम्हा उसके आगे जीवंत हो उठता! ____________________()___________________ " सर्दी की छुट्टियों मे आकाश Navy का Commodore बनने के बाद, पहली बार मेघा से मिलने आया था। दोनो,एक साल से live in मे थे, मेघा की मर्ज़ी से। आकाश तो शादी करना चाहता था, पर मेघा हर बार टाल देती। पर आज कुछ सोच कर आया था वो, मेघा को लेकर जुहू बीच के उत्तरी छोर पर पहुँचा। मेघा वहां एक Yacht देख भौचक रह गयी, और आकाश को मुस्कुराता रहा। मेघा की नज़र मे खुशी कम सवाल ज्यादा आ गए। 'तुमने ही तो कहा था, की सागर पर चलना है सिर्फ मेरे साथ', 'तो तुमने Yacht खरीद ली!', मेघा चीखी और Yacht की तरफ दौड़ पड़ी। 'भाड़े पे ली है', वो जबतक Yacht के doc पर पहुँचा, मेघा एक चक्कर लगा चुकी थी। - 'Its beautiful' 'For You' आकाश मुस्कुराया। मेघा की आँखें आकाश की आँखों मे प्यार देख रही थी, पूनम की उस रात मे सब रोशन था। प्यार, ततपरता सब। मेघा ने आकाश की आंखो मे प्यार के साथ एक सवाल भी देखा, तो उसने नज़रें चुरा ली। पर आकाश उसे बचने कहाँ देता! 'मेरे साथ चलो मेघा,सागर पर, आज की रात को ख़्वाहिश पूरी करने की है" मेघा को कुछ नही सूझा,उसका मन एक कदम आगे जाकर लौट आता। पर आकाश ने जब उसका हाथ थामा तो मेघा का मन बहती लहरों के साथ हो लिया। उसको समंदर का सफर सबसे प्यारा था, सागर का शोर उसे बहुत सुकून देता था, और ऐसे ही एक सफर मे उसे आकाश मिला। एक cruise के सफर का साथी आज उसका हमसफ़र बनना चाहता था। Yacht आगे बढ़ी, मेघा आकाश की बाहों मे सिमट गयी। दूर चाँद इस प्यार की कश्ती के लिए ,पानी पर अपनी चांदनी का रास्ता बना रहा था। मुलायम सी रोशनी मे,आकाश ने हल्के से कहा 'हमे शादी कर लेनी चाहिए' उसके शब्दों मे तिश्नगी , उम्मीद और प्रार्थना थी। आंखो मे बात करने वाला आकाश आज पहली बार मुखर हुआ था। मेघा भी उसकी चाहत से अनजान नही थी, मगर आज ये शब्द 'सुनकर' वो बेचैन हो गयी, खुद को उसकी बाहों से आजाद कर लिया। 'मुझे जवाब चाहिए, मेघा' ' मैं तुमसे शादी नही कर सकती आकाश, फिर तुम्हे और क्या मिलेगा शादी कर के?' मेघा की चुप्पी और आकाश की उम्मीद एक साथ टूटे। 'हमारे रिश्ते को नाम मिलेगा मेघा,तुम्हे सिर्फ girlfriend नही बोल सकता मैं, तुम इससे कहीं ज़्यादा हो...' आकाश बेचारगी से बोला। 'तो मत बोलो, ख़त्म करो रिश्ते को क्योंकि नाम पाकर रिश्ता ख़राब हो ही जायेगा' मेघा के शब्द तीखे थे। आकाश समझा नही। 'तुम फौजी बड़े बेवफा होते हो, शादी करोगे और कल को फ़र्ज़ के नाम पर शहीद कहलाओगे और मैं विधवा! वैसे ही जैसे ताउम्र मेरी माँ रही,मुझे ऐसी ज़िन्दगी नही चाहिए, आंसू-दर्द नही चाहिए मुझे, मैं चाहती हूँ की तुम्हे याद करूँ तो बस हंसने के लिए। मैं तुम्हारी विधवा कहलाने से अच्छा तुम्हारी ex कहलाना पसंद करूंगी।' आकाश चुप था, 'उसकी' मेघा बरस रही थी, हरेक शब्द उसकी उम्मीद की नाव पर भारी पत्थर की तरह थे! वो कहना चाहता था लेकिन मेघा से दूर जाने के डर से खामोश रहा, बहुत अक्खड़ जो है वो। ' but I love You Megha', आकाश लड़खड़ाते हुए बोला,पर मेघा चुप रही। वो चुप्पी, उम्मीद की नाव पर एक आख़री पत्थर था, नाव डूब गयी।" ___________________()____________________ बाहर हलचल हुई तो मेघा की तंद्रा टूटी, शायद आकाश लौट चुका था उसने खिड़की से झाँका, हां आकाश लौट चुका था, तिरंगे से लिपटे एक बक्से में। मेघा दुख से ज़्यादा आत्मग्लानी से भर उठी। दर्द तकलीफ और आँसू जब ज़रा धीमे पड़े तो उसके हाथों मे एक ख़त था, लिखा था- "for Megha" ख़त की सिलवटें सुलझीं और दर्द के लम्हे का सिरा हाथ मे आ गया। " Hi Megha, कल कुछ कह नही पाया, क्योंकि ज़्यादा pursue करके तुम्हे और दूर नही कर पाता! मेघा शायद मैं कल ना रहूँ ठीक वैसे जैसे तुम्हारे पापा नही रहे और तुम्हे भी अपनी माँ की तरह रोना पड़े पर जान, क्या तुमने उनके सिर्फ आंसू देखे? उनके चेहरे का गर्व नही? जो एक शहीद की बीवी कहलाते हुए उनके चेहरे पर उमड़ आता हो! तुम्हारे पापा साथ नही थे पर उनके फौजी होने के कारण लोगों की संवेदनाओं का संबल तो था, उसने कभी माँ को अकेला नही किया होगा। मैं उम्र भर साथ रहने का वादा तो नही कर सकता, पर क्या कोई civilian कर सकता है? नही! और मेरे न होने के बाद तुम संभल जाओगी ये वादा तुम भी नही कर सकती, पर अकेलापन तुम्हे खा जायेगा ये मुझे पता है। तब शायद लोग तुम्हे विधवा न कहें लेकिन तुम खुद वैधव्य महसूस करोगी। ख़ैर, जानती हो, ये सागर जिसके ऊपर मैंने तुम्हे propose किया उसी सागर की लहरों की आवाज़ मुझे तुमसी लगती है,लगता है जैसे तुम बोल रही हो! और सागर की नमी जब हाथों मे आती है लगता है की तुम्हारे हाथों को थामे बैठा हूँ। जब तक इस सागर की नमी मेरे हाथो मे है तुम साथ हो! ख़ैर आता हूँ इन आतंकवादियों की ख़बर लेकर तुम्हारी ख़बर लेने, इतनी आसानी से नही मानूंगा! सागर की नरमी लेकर आऊंगा शायद तुम पिघल जाओ। तब I Love You "too" बोलना please तुम्हारा आकाश।" चिट्ठी पढ़ कर मेघा एक नींद से जागी, उसके मन का धिक्कारता कोना अब और चीखने लगा। मेघा चाहकर भी आकाश से नही कह सकती थी की वो ज़िद उसकी नादानी थी, जिसे सुधारना चाहती है! देर हो चुकी थी, आकाश, 'आकाश' सा ही बन गया था! शहीद और मेघा, उसके हाथों की चूड़ियाँ नही टूटीं, पर उसके सपनों का शीशमहल बिखरा! गले का मंगलसूत्र नही उतरा पर आंसू उसके आंखो से एकसूत्र उतरे! माथे का सिंदूर नही मिटाया गया पर वही रंग आँखों मे उतर आया! बाहर का पता नही पर अंदर, आकाश बिन मेघा विधवा हो गयी!

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Technically ye ek sea story (nautical fiction) kahi jaa sakti hai par issue ye hai ki wo yahan primary theme nahi dikh rahi. Doosri dikkat treatment mey hai prem samvaad itne lambe khinch gaye ki baaki story plot kuch tha hi nahi. Pyaar duniya ki sabse achchhi cheez/ahsaas hai, tabhi isko universal language kaha jaata hai par as a writer/poet iska treatment aesa ho ki readers wakai juden, bandhan mehsoos karen, unhe aesa naa lage ki aese samvaad to wo roz radio, TV par sunte, dekhte hai. Deepjoy pinups achchhe banate hai, par expressions static lag rahe hai yahan jispar dhyaan dene ki zaroorat hai. 

Rating - 118/200 Points

 Word Limit Penalty - Minus 4 Points

Rating - 114/200 Points

Total Points after 2 Rounds - 249/400

Judge - Mohit Trendster

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