Monday, October 12, 2015

Round 1 - Team # 06 (Manabendra and Rahul)



अनेकता 

"मेरे प्रिये बिनायक-वन वासियों. आज 'मेक-इन-भिनायक' प्रोजेक्ट के १-साल पुरे होने पर मैं आप सभी जानवरों को बधाईयाँ देना चाहता हूँ. ये 

सब आपके सहियोग के बिना कतई संभव नहीं होपाता . आज 'मेक-इन-भिनायक' की बदौलत सबके पास अपना खुद का बिल है. इसके लिए 

मैं चम्पक-वन से आये आर्किटेक्ट पिकू-गोरिल्ला को धन्यवाद देना चाहता हूँ."

"पिकू-गोरिल्ला....जिन्दाबाद.....मंत्री-रामोदी....जिंदाबाद" की आवाज़ से पूरा वातावरण भर गया.

"दुसरे प्रोजेक्ट वाटर-फॉर-आल में नंदन-वन से आये अलेक्सी-घोरे की वजह से जल्द ही अब आप सबको अपने बिल में ही बड़े सस्ते दाम में 

स्वच्छ पानी मिलेगा. पानी के लिए आपको जंगल में दूर-दूर भटकना नहीं पड़ेगा. मैं आप जानवरों से इतना चाहता हूँ की ये अमन और शांति 

का माहौल हमेशा बनाए रखियेगा." 

बिनायक-वासी समझदार होने के साथ-साथ शांति-अमन का महत्व जानते थे. बिल्लियाँ-खरगोश, सांप-नेवला, शेर-हिरन सब प्रेम से रहते थे. 

कुछ महीने बीत गए.

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रात का वक्त था. अलाक़-खरगोश अपने परिवार के साथ रात्री-भोजन कर रहा था. 
"ये घास तो बहुत शवादिष्ट है. कहाँ से लायी?", अलाक़ ने पूछा.
"अरे ये ताशकान-वन से आये हैं.", पत्नी ने कहा.

तभी बाहर से आवाज़ आई. "बिल में कहाँ छुपा बैठा है. बाहर निकल". अलाक़ बाहर निकला जहाँ बिल्लियाँ डंडे लिए खड़ी थी. 

"क्या बात है मित्रों. आपसब इतने गुस्से में क्यूँ हैं?"
"ज्यादा भोले बनने की कोशिश नहीं करो. हमे पता है की तुमने ही हमारी सभा-प्रांगन से घास कुतरे है", ‌भीड़ से आवाज़ आई.
अलाक़ ने सफाई देते हुए कहा, "आपको ग़लतफहमी हुई है. आज मैं उस तरफ गया था लेकिन घास को छुआ भी नहीं"
"झूठ बोल रहे हो. अगर तुम निर्दोष हो तो हमें तो हमें अपने बिल की तलाशी लेने दो."

अलाक़ ने इजाजत देदी. बिल में घुसते ही बिल्लियों की नजर थाली पर पड़ी.

"ये घास तो हमारे सभा-घर के घास है."

अलाक़ के कुछ समझने से पहलेही उसपर लाठियाँ बरस पड़ी . अलाक़ के बेटे को भी जमकर पीटा गया. अलाक़ ने बचने की कोशिश की पर 

वो असफल रहा. कुछ देर पश्चात अलाक़ ने दम तोड़ दिया. बिल्लियों ने जब ये देखा तो सर पर पाँव रखकर फरार होगयी. चंद मिनटों में 

खुशहाल परिवार में मातम छागया.

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"गौर से देखो...", इंस्पेक्टर शेर-होल्म्स ने तस्वीर दिखाते हुए पूछा.
हॉस्पिटल-बेड पर लेते अशफाक-खरगोश ने तस्वीर को देखते हुए हामी भरी, "इन्ही ने मारा है अब्बू को. कुछ दिनों पहले मेरे चाचा की मौत 

होगयी. और अब अब्बू...."
"तुम फ़िक्र नही करो. इनको मैं सबक सिखाऊंगा"

इतना कहकर इंस्पेक्टर शेर-होल्म्स चला गया. इंस्पेक्टर शेर-होल्म्स बिनायक-वन का सबसे बुद्धिमान जानवर था. उसके नाम से मुजरिम 

थर्र-थर्र कांपते थे. स्टेशन पहुँचते ही वो सीधा हवालात पहुंचा जहाँ टोनी-मिंटू बिल्लियाँ बेरहमी से मार खा रही थी.

शेर-होल्म्स बोला-"शर्म आनी चाहिए तुम्हे. एक निर्दोष को बेरहमी से मार डाला. जांच में पता चला की उसके घर से मिला घास दुसरे जगह से 

है. तुम लोगों को उसपर शक क्यूँ हुआ?"

"हमे सभा-घर के माली टिंकू-घड़ियाल ने बताया.", मिंटू ने खांसते हुए उत्तर दिया.

शेर-होल्म्स पुछताछ करने सभा-घर पहुंचा. शाम के इस वक्त टिंकू पौधों को पानी दे रहा था.
"हाँ साहब. मैंने अलाक़ को कल देखा था यहाँ."
"पर क्या तुमने उसे घर खाते हुए देखा?", शेर-होल्म्स ने पुछा.
"नही, मैंने घास खाते नहीं देखा...", नीचे देखते हुए टिंकू ने जवाब दिया.

तभी शेर-होल्म्स का फोन बज उठा. उसमे से आवाज़ आई-"सर, टिंकू-मिंटू की मौत होगयी!"
हैरान शेर-होल्म्स तुरंत जेल के डॉक्टर से जाकर मिला.
"इसमें  पुलिस की कोई गलती नहीं है. जंगल में कुछ दिनों से खतरनाक बीमारी फैली हुई है. इन्हें भी वो बीमारी थी पर इन्हें पता नहीं था. इनकी 

मौत उसी बीमारी से हुई है.", डॉक्टर साहू-तोते ने कहा.
"पर ये बात बाकी जानवर नहीं समझेंगे.", चिंतित मुद्रा में शेर-होल्म्स ने बोला.

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टोनी-मिंटू की हवालात में मौत ने बिनायक-पुलिस पर सवालिया-निशान लगा दिए थे. आने वाले कुछ दिनों में खरगोशों-बिल्लियों के बीच तनाव 

बढ़ता गया. पड़ेसी पराये और दोस्त दुश्मन बन गए. इस पर राजनीती भी शुरू होगयी.
     
"बिनायक वन को इस वक्त रामोदी-जी की जरुरत है. पर वो दुसरे वन सैर करने गए है. क्या ऐसा होता है प्रतिनिधि? कल मैं रासलीला मैदान में 

अनशन करूँगा." आम-जानवर-पार्टी के अध्यक्ष ने कहा.

"मुझे अलाक़ के परिवर से हमदर्दी है. ये जताने के लिये आज मै दोपहर उनके घर पर भोजन करुँगा.", मोंग्रेस-पार्टी के अध्यक्ष रागा-सियार ने 

कहा. 

"भिनायक-पुलिस खरगोशों से मिली हुई है. उन्होंने ही टोनी-मिंटू को मारा है. हमने चुड़ियाँ नही पहने हैं. ईंट का जवाब पत्थर से 

देंगे."-राष्ट्रीय-बिल्ली-परिषद् के प्रमुख ने धमकी दी.

"मुझे अपार दुख के साथ ये सूचित करना पड़ रहा है की आज अशफ़ाक कीअस्पताल में मौत होगयी. हम उसके और उसके पिता की मौत का 

बदला लेंगे. इन बिल्लियों  को छठी का ढूध याद दिला देंगे."-आल-बिनायक-खरगोश-लीग ने धमकी दी.

इस धधकती आग में अगली घटना ने घी का काम किया.

"आज बिल्लियों के कुल-देवी ग्र्म्पी-कैट के मंदिर से उनके बहुमूल्य खिलौने चोरी होगए. बिल्लियाँ इसमें खरगोशों का हाथ मान रही है. अपने 

दर्शको को बता दे की इस वक्त तनाव अपने चरम पर है. और ये घटना इस तनाव को दंगो में बदलने की कुव्वत रखता है. कैमरामैन 

कालिया-कौवा के साथ मैं बुलबुल-मैना, कल-तक.

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पुलिस-स्टेशन में इंस्पेक्टर शेर-होल्म्स अपने सोच में डूबा हुआ था. 
"ये तो साफ़ है की कोई दोनों-गुट के बीच फूट डालना चाहता है. पर इन दोनों के अनबन से किसको फायदा हो सकता है?....ये सब अलाक़ की 

मौत से शुरू हुआ. अलाक़ को कौन मारना चाहता होगा?"
उसकी नज़र अलाक़ के एविडेंस-बैग में रखी डायरी कीओर परी. वो उसे उठा कर पढ़ने लगा. जैसे-जैसे वो पेज पलटता गया, उसकी आँखे 

उतनी खींचती चली गयी. तभी वहां हवालदार-बन्दर दौड़ते-दौड़ते पहुंचा.
"सर, आप जल्दी चलिए...खरगोशो और बिल्लियों का झुंध बरगद-पैर के नीचे हथियार लिए जमा हुआ है."
"मुझे असली मुजरिम का पता चल गया. लेकिन पहले मुझे अपनी थ्योरी टेस्ट करने के लिए कहीं और जाना है. जल्दी चलो, हमारे पास समय 

कम है."  

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कुछ महीनो पहले जिस बरगद के नीचे बिल्लियाँ और खरगोश एक साथ खुशियों से तालियाँ बजा रहे थे, वहां आज उसी बरगद के नीचे दोनों 

गुट एक-दुसरे खून के प्यासे थे. तू-तू-मैं-मैं कर जैसे ही वे एक-दुसरे की ओर बढ़े, कान-फाड़ने लायक दहाड़ ने उनका रास्ता रोका.

"रुको...असली मुजरिम का पता चल गया है", शेर-होल्म्स हांफते हुए बोला.
"वो पक्का इन बिल्लियों मे सेही कोई होगा", आल-भिनायक-खरगोश-संघ के प्रमुख ने बोला.
"ये सब नाहीं बिल्लियों ने और नाही तुमलोगों ने. इसके पीछे इसका हाथ है."

शेर-होल्म्स के इशारे पर दो-हवालदार बन्दर किसी को पकड़ पेड़ो की झुरमुट से बाहर निकले.  
"अलेक्सी", आश्चर्यचकित जानवरों ने एक-स्वर में बोला. 
"इसी ने आप लोगो के बीच द्वेष फैलाया. आप लोगो को एक-दुसरे के खिलाफ किया. ये काम इसने टिंकू की मदद से किया. टिंकू को इसने 

प्राइवेट तालाब का लालच दे खरीद लिया था. टिंकू सभा-घर और ग्र्म्पी-कैट मंदिर, दोनों की बागबानी करता है और उसके लिए घासों को 

कुतरना और खिलौने चुराना बहुत आसान था. उसपर शक होते ही मैंने उसे धर-दबोचा. एक-दो फटकार में उसने सबकुछ उगल दिया." 
"मगर क्यूँ?", खरगोशों ने पूछा.
अलेक्सी-ने धीमी स्वर में बोलना शुरू किया-"वाटर-फॉर-आल प्रोजेक्ट में हमने घटिया-क्वालिटी की इक्विपमेंटस इस्तेमाल करी जिससे कई 

जानवर बीमार पड़ने लगे. कुछ की मौत होगयी. बदकिस्मती से अलाक़ का भाई भी उनमेसे एक-था. उसे हमपर शक होने लगा. उसने सबूत 

इकठ्ठा करना शुरू किया. उसे रास्ते से हटाना जरुरी होगया था. पर दिक्कत थी की अगर अलाक़ को कुछ होता तो पुलिस हमतक पहुँच 

सकती थी. इसीलिए कुछ ऐसा करना था जिससे सांप भी मर जाता और लाठी भी नहीं टूटती. तब हमने खरगोश और बिल्लियों के आपसी 

मतभेद को इस्तेमाल करने का सोचा. इससे अलाक़ भी मर जाता और पुलिस का ध्यान भी दंगो को रोकने पर रहता."    
"ले जाओ इसे यहाँ से", शेर-होल्म्स ने हवलदारो को आदेश दिया.

"ये होता है जब कोई बिना सोचे-समझे निर्णय लेता है. जहाँ भिन्न-भिन्न प्रजाति रहते हो, वहां दो-दल के विचार, मान्यताएं, एक-दुसरे के बिलकुल 

विपरीत हो सकती है. लेकिन उस वक्त जरुरत है की दोनों दल आपस में बैठ बीच का रास्ता निकाले ताकि दोनों पक्ष ख़ुशी से रह सके. पर 

आप लोगो ने ऐसा नहीं किया. अलेक्सी आज इसीलिए कामयाब हो पाया क्यूंकि आपलोगों के दिल में दुसरे लिए नफरत थी. अगर किसी एक 

बिल्ली ने भी या किसी एक खरगोश ने भी परिपक्वता दिखाई होती, तो आज अलाक़ जिन्दा होता और अलेक्सी बहुत पहले ही कानून के गिरफ्त 

में होता. आइये हमसब मिलकर प्रण ले की अपने मन में एक-दुसरे के लिए नफरत नष्ट करे और सबके साथ सौहाद्र और प्रेम से रहे."

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अनेकता by Manabendra Majumder (Art), Rahul Ranjan (Story)

Rating - 125/200 Points

(Penalty: Deadline (Plus 1 Day) - 5 Points, Word Limit - 8 Points)

Final Rating  - 112/200

Judge - Mr. Mayank Sharma

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