Monday, June 17, 2013

Round 1 (Match # 30) - Amit Rawat vs. Eesh Khan



 *) - कहानी का क़त्ल
(# 30 - Amit Rawat)

पहली पहली मुलाकात
जादा नहीं होती बात 
फिर धीमे धीमे पकडती बातें रफ़्तार
जुड़ने लहते है दिल के तार
कुछ कहते है इसे दोस्ती और कुछ प्यार
जीवन अधुरा लगता उसे उसके बिना 
दूभर कगता जीना
एक रोता है हमेसा आंसू हसी के
दूसरा जीता लाइफ हसी से
कविताए बनती नित नयी
उमड़ते शब्दों में भाव कई
एक उनमे प्यार खोजता है
दूसरा उसमे दोस्ती को पूजता है
कब कैसे ख़त्म होगी ये कहानी
आगे फिर कभी सुनियेगा 'आवर्त' की जुबानी......:)
क्रमश;

आज फिर दिखे वो दो दिल घूमते कही
एक तो हमेसा की तरह मस्त दूसरा सोचता गलत सही
एक ढूँढता बहाने बात करने के
दूसरा बात करता ख़तम बहाने से
एक गाता "प्यार हमे किस मोड़ पे ले आया"
दूसरा गुनगुनाता "ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे "
ये कॉमिक tragedy यु हे चलती रहेगी
आगे की खबर आपको  'आवर्त' से मिलती रहेगी :)क्रमश:..  

एक की मासूम सूरत याद आई
चेहरे पे मुस्कान शरमाई
वो दिल करता हमेसा उसकी बात 
और 2ra दिल उड़ाता मजाक दिन रात
एक चाहे एक पल में  भी सदियो का साथ
दूसरा बिता दे सदिया बबात
कब तक एक सहता रहेगा चुप चुप के
और मुस्कुराएगा दुसरे की नजर से 
'आवर्त' को पता चले तो वो भी शेयर करे सबसे .....:)
क्रमश:.....

वो  दो  बेखबर  दिल 
रहते  बेसब्र  नहीं  पआते  मिल 
एक  समझे  इसे  बेकरारी 
दूजे  को  लगती   है  ये  दूरिय  भी  प्यारी 
बोझ  जो  दिल  पे  है  हटता  नहीं 
बात  अजीब  सी  हो  गयी  है 
दोस्ती  प्रेम  के  आगोश  में  सो  गयी  है 
एक  अंतर्द्वंद   है  मस्तिस्क  में 
की  कारण  कौन  किसका  है 
दोस्ती  से  उत्तपन  है  प्यार 
या  उसका  हिस्सा  है 
एक  को  बड़ी  बैचैनी  है 
दिल  में  हलचल  din  2ni 4ni   है 
वो  चाहता है   अपने   दिल  की 
पर क्या  2ra   दिल  समझ  पायेगा 
या  हमेसा  की  तरह  बात  को  हवा  में  उडाएगा 
इस  कहानी  के  twist n ant 'आवर्त आपको  xternal के  बाद  बताएगा ………………….
क्रमश:....:)



Xtrnal के  बाद  है  कहानी  कुछ  इस  प्रकार . . . .
एक  दिल  तो  है  कहने  को  बेकरार ..
पर    क्या   2ra है  तैयार ..
डरते  डरते  पहले   ने  किया  इज़हार ..
2ra दिल    चौका    ही   हुआ  फरार . .
वो  तो  निकला  philosphr. .
वही  पुराणी  पट्टी  पढ़ाने  लगा . .
मजाक  में  दिए  उसने  सारे  मुद्दे  भगा . .
जवाब  मांगने  लगा  जब  पहला  दिल . .
हिसाब   माँगा   जब  वो   मरता   था   तिल   तिल  ..
तब  जाकर  दूसरा  कुछ  पिघला . .
और  smthing serious उगला . .
कहने  लगा  रिश्ते  और  भाव  की  दुविदा  है  केवल ..
दोस्ती  है  रिश्ता  n प्यार  है  भाव  available. .
1la दिल  तो  है  ही  अँधा  प्यार  में ..
मिलाने  लगा  हाँ  उसकी  हाँ  में ..
जवाब  जो  मिल  चूका  था  उसे  चुपके  से    में ..
पर  आज  वो  सबसे  ज्यादा   खुश   था ..
क्युकी  हल्का  हुआ  था  उसके  दिलका  एक  भोज ..
खतम  हो  गयी  थी  उसकी  खोज ..
वो  जाते  जाते   ये  कह  गया ..
बीएस  तुम्हे  भी   हो  प्यार  किसी  से ..
और  वो  अपना  ले  तम्हे  ख़ुशी  से ..
  हो  कोई  बहाना    दोस्ती  का  समर्पण  ..
हो  बीएस  प्यार  का  अंत  में  संगम ..
ये  शब्द  प्यार  के  2re के  दिल  में  प्यार  जगा  गया ..
Bt अब   'आवर्त' क्या   समझाये  2no को ..
एक  कहानी  यहाँ  हुई  खत्म ..
क्या  पता  2ri शुरू  हो ..

................इस तरीके से एक कहानी का क़त्ल हुआ ....:)

Rating - 48/100

Judge's Comment - Nice rhyming and style but lacks appeal. 

 *) - दारुबाज

(# 35 - Eesh Khan)

आज के समाज मे युवाओ मे शराब के लत का तेजी से बढ्ना एक नई चिंता का विषय बना हुआ है.............दूसरो को क्या कहु,,मै खुद 18-19 साल की आयु से इसे पीना शुरु किया........
कारण की exact जांच कर पाना मुश्किल है.....कई inferiority complex से ग्रस्त होने के कारण पीने लगते है...कुछ इस टशन मे कि grls उन्हे घास डालेगी....मेच्योर समझेगी......कुछ शायद देवदास बन जाते है.....तो कई tv .movies से प्रभावित हो के पीना शुरु करते है..........
यहा सबका पोस्ट-्मार्टम करने की जगह खुद को जांचते है....................



why do we drink....?

अब क्या कहा जाये....बहोत ही कठिन प्रश्न है......(साला कठिन तो ये सब बेअवडो के लिये है)...यहा से मै we शब्द हटा के मै लगाता हु.....फिर इसी मै मे हम जोड कर एक कारण देने की कोशिश करुन्गा....

कब , क्यू और कैसे सवार हुआ....एक संस्कारी घर का चराग,,,,,इस नयी कश्ती  पे  :::::

मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि मै ऐसा दारुबाज हो जाऊगा,,,,,,,सुट्टा तो खैर ऐवे टशन मे स्कूल टाइम पे मार चुका था.........लेकिन स्मोकिग रास नही आयी.....शायद इसलिये कि मै हमेशा से moma's boy था,,,,,,,यहा घर मे सबको पता चल जाता...........
दारु से मेरी मुक्कालात दिल्ली मे हुइ...........हम कुछ मित्र बार गये,,,,मै ऐवे चला गया कि देखे कि ये होता कैसा है..........यहा महारे मित्रो ने बीयर मंगाया....मैने कहा कि मै नही पीता,,,,खैर एक दो राउड तो चला लेकिन एक खुरापाती बंदे ने मेरे वास्ते मंगाया colddrink (limka) with wiskey.....खैर दो पैग मार लिये इस छलिये लिम्के के रूप मे....
बाद मे घ्रर आया....बडा पछतावा हुआ......मां की काल आयी....& मेरे दिल मे जो बात थी वो केह दी......मा ने उन लडको से दूर रहने को कहा..............एक नार्मल नजरिया होता है लोगो का कि दारु चढाने वाले बुरे लोग होते है...............मैने पहले कई बुरी आदते अपनाई एवं छोडी थी.......सो मुझे लगा ये भी छूट जायेगी........
कुछ महीने तो छूटी रही.....लेकिन वो सब लडके बुरे नही थे.......( तो अब मेरे करीबी मित्र है)......उन्हे मै नही छोडना चाहता था,,,..्मै एक बिल्कुल ही नये शहर मे था..एक छोटे शहर से....10+2 पास कर के सीधे एक मेट्रो मे...........बिल्कुल immature ...........उस एक बंदे ने मेरी लाएफ मे पहला और सबसे बडा उलट-फेर किया................कई लोग सोचते है की maturity उम्र से आती है....लेकिन मेरा मानना है की ये experience से आती है........वो मेरे लिये बडे भाई के समान हो गया था.......................
शायद उसे भी मेरी बोहनी ही करनी थी..क्योकि फेर हम कई बार ...उस बार मे गये..लेकिन मुझे किसी ने  फोर्स नही किया.... .......

मैने अब तक दारु चखी तो लेकिन पी नही थी.....ये शुभ दिन भी आया....मेरे जन्म-दिवस के रूप मे........मैने बीयर पी....और टुण्ण..............

अब ये कोइ नयी बात नही रही..........मां को फेर बताया..डांट पडी......... अब अफ्सोस बढ गया था...............मैने पक्का किया कि अब और नही

फेर मैने लगभग साल तक नही पी..............

इस समय तक मै अपने अब तक के जीवन के सबसे अच्छे पलो मे से एक जी रहा था.....लेकिन कहते है ना........फरिश्तो  को सहन हुआ....

जीवन के एक  मोड पे ऐसा समय आया की मैने एक बीयर 6 सेक्ण्ड मे बॉट्म(पूरी खत्म करना एक सांस मे) मार दी......यहा पे प्यासा फिल्म का एक stanza याद आता है..

"
गम इस कदर बढे  कि मै घबरा के पी गया...
इस दिल की बेबसी पे  तरस खा के पी गया...
ठुकरा रहा था मुझको.बडी देर से जहां....
मै आज सब जहान को ठुकरा के पी गया
"

शायद यही से शुरुवात हुइ........रुकने की कोशिश की,,,लेकिन अब देर हो चुकी थी.........हालांकि मै कोइ देवदास हुआ था.......अभी भी hard spirits से दूर रहता था........लेकिन बाद मे हर घाट का पानी पिया....लेकिन मैने  narcotic नशे (सुल्फा.,अफीम,भांग, बाबा जी की बूटी  )  को दूर से ही प्रणाम किया......
और मुझे खुद पे नाज है....मैने लगभग महीनो तक दारुबाजी कि...बिना नागा......लेकिन कभी भी उसका गुलाम नही बना.....आज भी मुझे दारु च्खे साल हो रहे है.............शायद ये उन शिक्षाओ का फल था जो कि मुझे बचपन मे दी गयी.....
और ये बात मेरे उन मित्रो मे भी है/थी...सभी एक से बढ के एक टैंकर...लेकिन जब चाहे तब छोड सकने की क्षमता रखते थे.................आज कुछ की शादी हो गयी है...पूरे सुधरे हुए है....




सो दारू-बाजी बुरी है...........तो क्या मै इस्से अब कभी करुन्गा.....

जवाब है नही................


क्यो....दारु-बाजी बुरी....तो फिर क्यो नही इसे कहते.......

अब हम बीयर से उपर नही जाते........

लेकिन है तो ये भी शराब ही,,,,,,,,,,,,,,,

हम्म हा है तो....लेकिन......

लेकिन क्या,,,,,,,,ऐसी कैसी strong-will की पूरी तरह नही छोड सकते...why do you drink ?


शायद कुछ भूलने के लिये...कुछ याद करने के लिये........क्योकि अब हम अकेले नही पीते......साल दो साल मे एक दो बार...्जब हम सब साथ होते है........शायद बीयर के जरिये हुम खुद को भूल जाना चाहते है......ये भूल जाना चाहते हो कि हमने क्या पाया, क्या खोया...........
आपने सुना होगा की लोग दारु पी ले झगड पडे,,,,,जी हा ऐसा होता है...क्योकि टुण्ण होने के बाद शब्दो को तौल के नही निकाला जाता............इसी लिये लोग घनिष्टो के साथ ही पीते है.........
शायद हम भी देखना चाहते हो कि कितने दूर गये है हम.........कितने मेच्योर हुए.....?
क्योकि अब समय नही होता आपस मे मिलने का.....सो हम जब मिलते है तो नशे की दुनिया मे जा के समय रोक देते है.............कुछ अपने पे रोते है...कुछ दूसरो पे......कुछ अपनी कहते है..कुछ उनकी सुनते है.........खुद पे हसते है,,दूसरो पे हसते है........................................

लेकिन अब लगता है ये सब कहना एक बहाने, एक छलावे से ज्यादा और कुछ ना हो.....खुद के लिये बुना एक भ्रमजाल......................सच तो ये है कि अब हम सिर्फ कुछ मित्र नही रहे.....हमारे बीच मे एक अन्जाना क्रोधी मित्र "बोतल" चुआ है...

अब चाहे सालो-साल मे पियु..लेकिन पूरी तरह छोड पाना........मुश्किल है...

यहा मै शराब का प्रचार नी कर रहा...इससे बचना ही श्रेष्ठ है...मैने खुद इसे काफी अरसे से छोडा हुआ है.....इसे छोडना असान तो नही लेकिन असंभव भी नही है..छोड्ना तो इसे था ही....मै नही चाहुंगा की मेरे बच्चे इस लत को पकडे.........जो भी संभव हो सकेगा मै वो प्रयत्न करुंगा..यकीन मानिये...शराब मजे के लिये पीते हुए भी कई बार होश फाख्ता हो जाते है....

एक कहाने पढी थी ११वी कक्षा मे....वो share करुन्गा...
एक बार एक तुफानी रात मे एक saint जंगल से जा रहे थे.....परेशानी अधिक होने पे उन्होने सोचा की कही रुकना ही बेहतर होगा,,,,
रास्ते मे इब्लीस (शैतान) ने उनका इन्तेहान लेने के लिये एक जगह वेश्यालय बना दिया.......उस नेक आदमी ने उसे देखा.....पहले तो वो हिच्का....लेकिन तभी ओले पडने लगे....मजबूरी मे उन्हे अंदर आना ही पडा..
अंदर एक ही वेश्या थी (शैतान)....उसने कहा कि आप तभी रुक सकते है जब मेरे तीन मे से एक काम करे...
1
शराब पिये
2
एक आदमी (गुलाम) का कत्ल करे
3
मेरे साथ सोये (mating)
 
वो नेक इंसान दुविधा मे पड गया....वापस जा नही सक्ता था,,,,,तूफान और उग्र हो चुका था....उन्होने सोचा की हराम तो तीनो ही है..लेकिन शराब पीना सबसे छोटा गुनाह है.......तो उन्होने शराब पीना मंजूर किया
अब जब वो टुल्ल हो गये....तब वेश्या(शैतान) ने अपने कपडे निकाल दिये.....अब नशे मे इनका इमान डोल गया,,,,,वो वासना मे पड कर आगे बढे...लेकिन वेश्या ने उनसे कहा की उसके गुलाम को कत्ल किये बिना ये संभव नही......तो वासना मे होशो-हवास खो चुके उस नेक इंसान ने उस आदमी का कत्ल भी किया,,,,बाद मे उस वेश्या के साथ sex भी.....
इस तरह सबसे छोटे समझे जाने वाले गुनाह ने उनसे सभी बडे समझे जाने वाले गुनाह करवाये

ये कहानी दिलो-दिमाग पे बैठ गयी थी....शायद यही कहानी मुझे over होने से रोकती थी/है.....

कुछ लोग मानते है कि कुछ मात्रा मे पीने मे कोइ बुराई नही.......शायद, लेकिन ये थोडी , कब अधिक हो जाये ...कोई नही जान सकता

एक बार  एक फारसी शेयर का हिन्दी अनुवाद पढा था,,,,अंत मे  उसे लिखने की कोशिश कर रहा हु...

मदिरा क्रोधी शत्रु एवं समझदार मित्र है,
थोडी विष की औषधि है, अधिक सर्प-विष है I

अधिक मे थोडी हानि नही है,
पर थोडी मे बहुत लाभ है I



Rating - 65/100

Judge's Comment -
You didn't use huge words, yet the way you worded everything made it seem almost like you did, because it was so descriptive with just short words. It was an easy piece to read, and very enjoyable. Shayari used is awesome.

Result - Eesh Khan wins the match and goes to final 32 round. Amit Rawat is assigned to parallel league.

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